कल आजतक चेनल पर देश के राष्टीय संतो के कारनामे देखकर मुझे गर्व हुआ कि मै भी अंतरास्ट्रीय संत बन सकता हूँ। एक संत काले धन को सफ़ेद करने के गुर सिखा रहा है। एक संत पुलिस वाले के हत्या के आरोपी को अपने आश्रम में शरण देने की बात कहता है। तो एक संत ११ मुखी रुद्रख्स की कीमत लाखो में बताता है। मै ये चिंतन कर रहा कि हिन्दू धर्म व्यावसायिक संतो को हम क्यों स्वीकार कर रहे है। जय हो कॉरपरेट बाबाजी।
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