Sunday, May 8, 2011

मुझे नहीं मालूम था कि आज मदर्स डे है, जब मालूम पड़ा तो मुझे मेरी माँ क़ी माताजी यानि मेरी नानी मुझे याद आ गयी। आज भी याद आता है जब में ननिहाल जाता था तो मुझे १ रूपया देती थी और मुझे ऐसा लगता था कि दुनिया सारी ख़ुशी उस एक रुपये में है। जीरे का तड़का लगा कर आलू की सब्जी बनाती थी, क्या स्वाद होता था और कोकम डाल कर दाल बनती थी । उस स्वाद और स्नेह को आज भी याद करता हूँ क्योकि मेरी नानी दुःख में रहकर भी मुझ पर स्नेह लुटाती थी। आज उस स्नेहमयी आत्मा को प्रणाम करता हूँ।

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