दिल के अरमा
उसकी गली मे सड गये
हम वफ़ा करते रहे
वो किसी के साथ थी
जिंदगी एक प्यास बन कर रह गयी
पेपसी कोला वो पीती गई
हम बिल चुकाते रह गये
शायद उनका आखिरी हो यॅ सितम
वो घर बसा के चली गई
हम जिंदगी भर कुंवारे रह गये
खुद को भी हम ने मिटा डाला
पर क़ब्र पर मेरी आशियाना बनाने आ गॅये
उसकी गली मे सड गये
हम वफ़ा करते रहे
वो किसी के साथ थी
जिंदगी एक प्यास बन कर रह गयी
पेपसी कोला वो पीती गई
हम बिल चुकाते रह गये
शायद उनका आखिरी हो यॅ सितम
वो घर बसा के चली गई
हम जिंदगी भर कुंवारे रह गये
खुद को भी हम ने मिटा डाला
पर क़ब्र पर मेरी आशियाना बनाने आ गॅये
ha ha ha ha
ReplyDeleteno words.....bahut sundar shabdo ko milaya hai hemant.........badhaai
holy tak dimag aise hee chalega........
Delete