कल होली है.........................
सन ९७ की बात सुनाता हूँ
मैंने एक लड़की से उसका नाम पूछा
वो बोली .......................संजना
पास खड़ी उसकी सहेली से नाम पूछा
वो बोली.............. सिमरन
एक और सहेली से नाम पूछा
वो बोली.................... काजोल
फाल्गुन मास में मेरा सर चकराया
किसी ने अपना नाम बसंती नहीं बताया
एक लड़की मुझ से बोली
"भैया" आप का क्या नाम है
"भैया" सुनते ही मुझे गुस्सा आया
मै गुस्से में बोला
बहनजी! भैया नहीं ...... मिस्टर कहो
लड़की को भी गुस्सा आया...
वो बोली......
बहनजी नहीं......
संजना बोलो....
मै भी प्रेम से बोला
"प्रेम है नाम मेरा......
प्रेम से बोलो............"
बोला नहीं जाता तो
प्रेम से प्रेम करो......
लड़की चिल्लाकर बोली .....
तुम्हे तो मै देख लुंगी.........
मैंने कहा ........................
आज ही अच्छी तरह देख लो.....
कल होली है...............................
कल मुझे पहचान नहीं पाओगी..........
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