Saturday, July 24, 2010

मुझे एक नेता की लड़की पसंद आई
मैंने आपनी पसंद माँ को बताई
माँ बोली ये परी ही क्यों पसंद आई
दहेज़ मे राजनीति लाएगी
घर को राजनीति का अखाडा बनाएगी
मुझे स्पीकर ससुर को मंत्री बनाएगी
तुझे तो सिर्फ निजी सचिव बनाएगी
झाड़ू पोचे तुझसे करवाएगी
नौकर का भत्ता खुद खा जाएगी
धरने भूख हड़ताल पर जायेगी
खाना तुझसे बनवाएगी
तू जीते जी मर जाएगा
जब वो सफ़ेद कुरते मे आएगी
तुझे हाथ मे तख्ती देगी
जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे लगवायेगी
कभी कभी लाठी चार्ज भी करवाएगी
इलाज से पहले जाँच आयोग बिठाएगी
हाथ पैर तुड़वा कर
१२ साल बाद मुआवजा दिलवाएगी

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