Sunday, July 25, 2010

फिर सावन आ गया
शरारत से भरे बादल
संगीत सी गरजती बिज़ली
पेड़ो पर लटकते झूले
अप्सराओं को बुलाने लगे
शिवालयो मे गूंजते वेदमंत्र
शंकर को बुलाते है
हरियाली के रास्ते
पथिक को रिझाते है
एक महीने का सावन
११ मास भूलता है

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